नकारात्मक सोच के कई कारण होते हैँ। कोई व्यक्ति किसी एक कारण के चलते नकारात्मक सोच रख सकता है तो दूसरे की सोच नकारात्मक होने का कोई दूसरा कारण हो सकता है। इसलिए अपनी सोच की तुलना दूसरोँ की सोच के साथ मत करिए।
नकारात्मकता से बाहर निकलने के भी कई रास्ते या तरीके हो सकते हैं। इनमेँ से कुछ प्रमुख व चुनिंदा तरीकोँ के बारे मेँ बताया जा रहा है।
* हर बात की गहराई तक सोचना बंद कर दीजिए। जिदंगी 100 फीसदी आसान या 100 फीसदी कठिन नहीँ हो सकती है। नए लोगोँ से मुलाकात करने से पहले कुछ नर्वसनेस होती है
लेकिन
यह सोचना कि नए लोग मुझे बिल्कुल पसंद नहीँ करेँगे, मिथ्या है। ऑफिस से घर जाते वक्त बारिश होने पर यह सोचने के बजाय कि पूरी शाम या पूरी रात बर्बाद हो गई, यह सोचना चाहिए कि घर जाने मेँ अब थोड़ा ज्यादा समय लग जाएगा। हर बात मेँ कुछ न कुछ पाजिटिव होता है, सिर्फ उसे देखिए। * दूसरे लोगो द्धारा दिए जा रहे निगेटिव सांइस का इंतजार मत करिए। कोई व्यक्ति एक बात कहता है तो बाकी बातोँ के बारे मेँ खुद-ब-खुद सोचने मत लग जाएं। अगर कोई बात नहीँ कर रहे तो उनकी चुप्पी का अर्थ स्वयं निकालने न लग जाएं। निगेटिव सोच रखने से आप दूसरोँ द्वारा कही गई हर बात को निगेटिव नजरिये के साथ देखने लग जांएगे। अगर आप नहीँ जानते कि दूसरे लोग क्या सोच रहे है तो खुद ही कुछ भी सोचना शुरु मत कर दीजिए। * उम्मीद करना छोड़ दीजिए, खुद के लिए नाजायज और सख्त नियम मत बनाइए। दुनिया जैसी है, उसके साथ वैसा ही आगे बढ़ते जाइए। दुनिया को वैसे चलाने का प्रयास मत करिए जैसा आप चाहते हैँ। जीवन मेँ ऐसा कोई नियम-कानून नहीँ है कि जैसा आप चाहते हैँ जिँदगी ठीक वैसा ही आपको दे। दूसरोँ के साथ-साथ खुद से भी बड़ी-बड़ी उम्मीदेँ लगाना छोड़ दीजिए।
यह सोचना कि नए लोग मुझे बिल्कुल पसंद नहीँ करेँगे, मिथ्या है। ऑफिस से घर जाते वक्त बारिश होने पर यह सोचने के बजाय कि पूरी शाम या पूरी रात बर्बाद हो गई, यह सोचना चाहिए कि घर जाने मेँ अब थोड़ा ज्यादा समय लग जाएगा। हर बात मेँ कुछ न कुछ पाजिटिव होता है, सिर्फ उसे देखिए। * दूसरे लोगो द्धारा दिए जा रहे निगेटिव सांइस का इंतजार मत करिए। कोई व्यक्ति एक बात कहता है तो बाकी बातोँ के बारे मेँ खुद-ब-खुद सोचने मत लग जाएं। अगर कोई बात नहीँ कर रहे तो उनकी चुप्पी का अर्थ स्वयं निकालने न लग जाएं। निगेटिव सोच रखने से आप दूसरोँ द्वारा कही गई हर बात को निगेटिव नजरिये के साथ देखने लग जांएगे। अगर आप नहीँ जानते कि दूसरे लोग क्या सोच रहे है तो खुद ही कुछ भी सोचना शुरु मत कर दीजिए। * उम्मीद करना छोड़ दीजिए, खुद के लिए नाजायज और सख्त नियम मत बनाइए। दुनिया जैसी है, उसके साथ वैसा ही आगे बढ़ते जाइए। दुनिया को वैसे चलाने का प्रयास मत करिए जैसा आप चाहते हैँ। जीवन मेँ ऐसा कोई नियम-कानून नहीँ है कि जैसा आप चाहते हैँ जिँदगी ठीक वैसा ही आपको दे। दूसरोँ के साथ-साथ खुद से भी बड़ी-बड़ी उम्मीदेँ लगाना छोड़ दीजिए।
23 comments:
सकारात्मक सोच सफल और संतुष्ट जीवन के लिए बहुत आवश्यक है...बहुत सारगर्भित प्रस्तुति...
सारगर्भित सकारात्मक प्रस्तुति........
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, पागलों की पहचान - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
कैलाश जी व कौशल जी आपका ब्लॉग की नई पोस्ट के लिए अपने अमूल्य विचार व्यक्त करने हेतु धन्यवाद!
JEEWANTIPS
सही कहा सकारात्मक सोच सफल जीवन का मंत्र है. अच्छी प्रस्तुति.
जीवनटिप्स की पोस्ट को आपके ब्लॉग पोस्ट का हिस्सा बनाने के लिए बहुत आभार!
सार्थक विचार
सुंदर और सार्थक विचार
यथार्थ है!
बहुत ही उम्दा भावाभिव्यक्ति....
आभार!
इसी प्रकार अपने अमूल्य विचारोँ से अवगत कराते रहेँ।
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
बहुत अच्छा लिखते हैं आप
आभार
अच्छी रचना की प्रस्तुति।
अच्छी रचना की प्रस्तुति।
बहुत बहतरीन लेख ।
sakratmak soch par behatreen lekh.
उम्दा भावाभिव्यक्ति....
बढ़िया
Very nice post ...
Welcome to my blog
सुंदर और सार्थक विचार
बिल्कुल सच्ची बात।
सहमत, सहीं कहाँ आपने
http://savanxxx.blogspot.in
सही कहा
उम्दा प्रस्तुति
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