संकटग्रस्त व्यक्ति जब अस्तित्व बचाने के लिए लड़ता है तो पूरी शिद्दत से लड़ता है। जब जीवन मरण का प्रश्न होता है तो चेतना तीव्र हो जाती है। संकट नए विचार पैदा कर शक्ति के नए स्रोत पैदा करता है।संकट नए अनुभव व नए मित्र देता है। संकट अथक परिश्रम करवाता है।यह मनुष्य में एक अलग किस्म की परिपक्वता लाता है तथा इसके बाद हम थोड़े और बड़े हो जाते है। संकट सही मायनों में व्यक्ति का सत्य से साक्षात्कार तथा यथार्थ से परिचय करवाता है। नतीजा यह होता है कि संकट बीत जाता हैै, लेकिन हम अपने जीवन में और अधिक शक्तिशाली हो जाते है।
9 comments:
अच्छा विचार
सत्य जीवन विचार
बढियाँ।
बिलकुल सही संकट के समय हम अपने मस्तिष्क का 100 प्रतिशत तक उपयोग करते है
सुंदर विचार श्रृंखला..
बिल्कुल सही कहा विपरीत समय हमें और मजबूत बनाता है
सही है। विपरीत परिस्थितियां व्यक्तित्व का विकास करती है।
इसी तरह जीवन के लिए उपयोगी टिप्स बताते रहे
बहुत सुन्दर रचना..... आभार
मेरे ब्लॉग की नई रचना पर आपके विचारों का इन्तजार।
mere blog ki new post par aapke vicharo ka swagat...
Happy Father's Day!
Post a Comment