कुछ स्थितियोँ मेँ अकेलापन सबसे बड़ी समस्या बन जाता है। यह समस्या किसी भी उम्र मेँ आ सकती है तथा यह अकेलापन
दुनिया मेँ सबसे ज्यादा तोड़ने वाला होता है, इस टूटन का इलाज स्वयं निकालना पड़ेगा। जिस किसी को संसार मेँ इस स्थिति का सामना करना पड़े, उसे दो मार्ग से इस पर विचार करना होगा। एक है सांसारिक दूसरा आध्यात्मिक। सांसारिक मार्ग यह है कि किसी गतिविधि से जुड़ जाएं, लोगोँ मेँ उठने-बैठने लगेँ और शरीर को पूरी तरह से स्वस्थ रखकर कहीँ न कहीँ खुद को जोड़े रखेँ, लेकिन बुढ़ापे मेँ यह सब भी हमेशा संभव नहीँ होता। ऐसे मेँ दूसरा मार्ग है आध्यात्मिक। इसमेँ बाहर गतिविधि नहीँ करनी है। यदि आप ध्यान (Maditation) के लिए तैयार है, तो आप इसका अभ्यास और बढ़ाइए। ध्यान रूपी अवसर से आप स्वयं से जुड़ जाते हैँ। ऐसा माना जाता है कि उदासी मिटाने का इससे अच्छा तरीका नहीँ है।
दुनिया मेँ सबसे ज्यादा तोड़ने वाला होता है, इस टूटन का इलाज स्वयं निकालना पड़ेगा। जिस किसी को संसार मेँ इस स्थिति का सामना करना पड़े, उसे दो मार्ग से इस पर विचार करना होगा। एक है सांसारिक दूसरा आध्यात्मिक। सांसारिक मार्ग यह है कि किसी गतिविधि से जुड़ जाएं, लोगोँ मेँ उठने-बैठने लगेँ और शरीर को पूरी तरह से स्वस्थ रखकर कहीँ न कहीँ खुद को जोड़े रखेँ, लेकिन बुढ़ापे मेँ यह सब भी हमेशा संभव नहीँ होता। ऐसे मेँ दूसरा मार्ग है आध्यात्मिक। इसमेँ बाहर गतिविधि नहीँ करनी है। यदि आप ध्यान (Maditation) के लिए तैयार है, तो आप इसका अभ्यास और बढ़ाइए। ध्यान रूपी अवसर से आप स्वयं से जुड़ जाते हैँ। ऐसा माना जाता है कि उदासी मिटाने का इससे अच्छा तरीका नहीँ है।
7 comments:
अच्छी सोच....
बहुत सार्थक प्रस्तुति...
सार्थक प्रस्तुति...
सुंदर और सार्थक
अकर्मण्यता दिलो-दिमाग को कुन्द कर देती है
जय मां हाटेशवरी...
अनेक रचनाएं पढ़ी...
पर आप की रचना पसंद आयी...
हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
इस लिये आप की रचना...
दिनांक 20/05/2016 को
पांच लिंकों का आनंद
पर लिंक की गयी है...
इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।
सुन्दर रचना
मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है।
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